भिंडी की खेती

भिंडी की खेती कैसे होती है !

भिंडी की मांग सालभर रहती है, यदि किसान भिंडी की खेती करना चाहते हैं तो इसकी खेती करके अच्छा लाभ  ले सकते हैं !

बुआई का समय

गर्मी के मौसम में भिंडी की बुआई फरवरी-मार्च में होती है , वहीं बरसात में भिंडी की बुआई जून-जुलाई में होती है,यदि भिंडी की फसल लगातार लेनी है तो तीन सप्ताह के अंतराल पर फरवरी से जुलाई के मध्य अलग-अलग खेतों में भिंडी की बुआई कर सकते हैं, आपको बता दें, ग्रीष्मकालीन भिंडी जल्दी लगती है, जब कि बरसात के मौसम की भिंडी की फसल देर से लगती है .!

भिंडी
भिंडी की अच्छी उपज के लिए सबसे पहले अच्छी तरह से खेत की जुताई कर दें और उचित मात्रा में कंपोस्ट खाद डालने के बाद फिर से खेत की जुताई करवा दे ताकि खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाये , इसके बाद खेत में पानी भर दें,  फिर दो से तीन दिन बाद जब खेत की मिट्टी थोड़ी-थोड़ी सूख गयी हो, तो उसमे पाटा लगा कर खेत की जुताई कर दें जिससे खेत बराबर हो जाए.!

भिंडी की खेती  के लिए बलुई और दोमट मिट्टी दोनों ही उपयुक्त मानी जाती है, भिण्डी  की खेती के लिए नमी वाले जलवायु को उपयुक्त माना जाता है, सर्दियों में इस फसल का रखरखाव ज्यादा करना पड़ता है क्योंकि ठंडी में गिरने वाला पाला इसको ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.!

भिंडी की फसल की अच्छी उपज के लिए मिट्टी में उवर्रक उचित मात्रा में होना जरूरी है, खेत की जुताई करते समय पुराने गोबर की खाद  खेत में डालकर अच्छे से मिला दें,  और रासायनिक खाद में N.P.K की खाद और यूरिया का इस्तेमाल भी कर सकते हैं,

खरपतवार नियंत्रण के लिए  खेत में फ्लूक्लोरेलिन का छिड़काव भी आप कर सकते हैं, बुआई के 20 दिन बाद गुड़ाई कर दें। इसके बाद 18- 20 दिन के अंतराल में इसकी निराई- गुड़ाई करते रहें.

भिंडी की से कम खर्च में अच्छा लाभ ले सकते हैं, भिंडी सालाना की पैदावार 10 से 15 टन प्रति एकड़  हो सकती है,  बाजार में भिंडी का रेट लगभग  20-50 रूपये प्रति किलो होता है, इस तरह से एक बार में भिंडी की खेती से प्रति एकड़  एक से डेढ़ लाख तक का लाभ कमा सकते हैं,!

रोग और रोकथाम
इस तरह का रोग में कीड़े भिंडी को खाकर खोखला कर देते हैं,  इसके अलावा यह रोग पौधों के तने पर भी देखने को मिलता है,  इसके निदान के लिए प्रोफेनोफॉस या क्विनॉलफॉस का छिड़काव कर सकते है,

पीत शिरा कीट रोग
यह एक वायरस जनित रोग होता है, जिसमें भिंडी की पत्तियां पीली पड़ जाती है, और नयी निकलने वाली शाखाएं भी पीली हो  जाती है, इसके बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड या डाइमिथोएट का छिड़काव होता है!

चूर्णिल आसिता कीट रोग
इस रोग में भिंडी की पत्तियों पर सफेद रंग का पाउडर और सफेद धब्बे दिखाई पड़ने लगते है, जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पाता है,  इस रोग से बचाने के लिए डायनोकेप और गंधक का छिड़काव होता है !

लाल मकड़ी 
भिंडी में लाल मकड़ी का रोग पौधे की लंबाई नही  बड़ने देता इस रोग में सफ़ेद मक्खियों झुंड बनाकर पौधे के निचले सतह पर रहती है,  जिससे पौधा सुख पड़ने लगता है,  डाइकोफॉल या गंधक केछिड़काव कर इस रोग की रोकथाम किया जा सकता है,

भिंडी  पोषक तत्वों से भरपूर एक सब्जी है –  डायबटीज के लिए भिंडी बहुत ही फायदेमंद होता है, भिंडी खाने में भी बहुत स्वादिष्ट होती है। ऐसे तो भिंडी की मांग सालभर रहती है लेकिन गर्मियों की इसकी मांग बढ़ जाती है। इसकी मांग अधिक होने से इसकी बिक्री जल्दी हो जाती है। यदि किसान भिंडी की खेती करते है , तो इसकी  करके अच्छा लाभ ले सकते हैं.!

खेती करे ( khetikare )

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धन्यवाद ( Dhanyavaad )

 

 

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