फसल चकर
फसल चक्र का मतलब होता है ! कि एक तो जो बीमारियां होती हैं ,जिनके जीवाणु मिट्टी में बने रह जाते हैं ! उदाहरण के लिए जैसे मटर मटर में अगर उकता रोग लग जाता है ,तो उसके जी बाण मिट्टी में चले जाते हैं ,और इसके लिए हम
यह कहते हैं , कि दो या तीन साल तक उस खेत में मटन ना ले दूसरी ये है ,कि गहरी जड़े जो गहरी नीचे तक जाने वाली जड़े होती हैं , और उथली जड़े होती हैं , तो जो गहरी जड़े होंगी तो जहां नीचे पोषक तत्व है !
वो फसल गहरी जड़ वाली अपने पोषक तत्वों को ले लेगी उथली उथली अगर है , हमने बोई है ,तो उथली वाली ले लेगी इसी तरीके से जड़ें दो प्रकार की और होती हैं , एक होती है , मूसला जड़ एक होती है , झगड़ा जड़ जिसको काफी झाड़ी की तरह बनाती है तो झाड़ी वाली जो होती है !
उसमें जो ऊपर के धरातल से जो है ,वो पोषक तत्वों को लेने की क्षमता अधिक होती है ,बनिस्बत मूसला जड़ के मूसला जड़ जो है ,वो नीचे सीधा अपना जो जाति है ,उसमें कहीं ज्यादा मूल रोम नहीं होते हैं ,तो वो लेती है अब जैसे गेहूं है गेहूं और धान एक किसान ज्यादातर लेता है !
अब गेहूं को निरंतर लेते रहते हैं ,तो उसमें क्या होता है गेहूं सा एक ऐसी जो है ,खर पदवार है ,कि जो गेहूं को 50 पर तक गेहूं में हो जाता है ,तो अब उसमें जब गेहूं में हो जाता तो उसके लिए या तो हम अधिक से अधिक जो है !
पैसा खर्च करके रसायनों का प्रयोग करें और या उसको फिर निकाई उड़ाई करें ! तो अगर हम दो-तीन साल तक हम उसम खेत में गेहूं ना करके अन्य फसलें करते हैं , तो गेसा का होना बंद हो जाता है ,यह जरूरी है , कि फसल चक्र उपना है ,बार-बार वही फसल लेने से जो है ,उसकी पैदावार कम हो जाती है !
Khetikare
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