किसानों की नई रणनीति


पिछले कुछ दिनों से हरियाणा की सीमाओं पर जुटे पंजाब के किसान संगठनों ने दिल्ली कूच को लेकर नई रणनीति बनानी शुरू कर दी है जी हां हरियाणा पुलिस के आंसू गैस के गोले दागने से बचने के लिए गाय को ढाल बनाने की तैयारी में किसान हैं इसके लिए हरियाणा सीमा में प्रवेश के समय हर किसान अपने गोदन को आगे लेकर आएगा इससे पता चला जाएगा कि

खुद को गौरक्षक कहलाने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार क्या इन गोदन को भी रोकने के लिए उन पर गोलियां चलाएगी या नहीं संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के सिद्धूपुर गुट का दिल्ली कुछ कार्यक्रम टालने का गुरुवार को अंतिम दिन है और बुधवार को सिद्धूपुर गुट और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के नेताओं की बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा हुई जहां तक केंद्र का सवाल है केंद्र मैंने जैसे बोला कि केंद्र अपनी सत्ता किस तरह से प्राप्त करें उनके ऊपर ध्यान दे रही है और जो हमें संविधान हक देता किसी ने नहीं दिया !

आप पीसफुली ढंग से आंदोलन कर सकते हैं , तो राजधानी में जाकर आंदोलन करने का हमारा अधिकार केंद्र सरकार छीन रही है वह हमें देना नहीं चाहती तो इस पर आज भी अड़क है जिस तरह का हमारे ऊपर 700 हज अर्ध सैनिक फोर्स हरियाणा में है जिस तरह से हमारे पर बल प्रयोग किया जा रहा है !

जिस तरह से जो भी केएमएम और एसकेएम गैर राजनीतिक कॉल करता है उसको देश भर में लागू करने से पूरी तरह से रोका जाता है मतलब कोई और कर ले उसको कोई तराज नहीं है कोई मतलब हमने तो यह भी देखा है कि कोई मतलब हरियाणा में टॉल फ्री की बात है तो हरियाणा में कोई और भी जो मर्जी कोई 50 आदमी 60 आदमी चले जाए हर एक का अधिकार है टोल फ्री करने का !

लेकिन ये जो केएमएम और एसकेएम नॉन पॉलिटिकल बोलेगा उसमें नहीं होने देंगे तो यह सरकार जो पूरी तरह बाहर से पूरी तरह लीडरों के ऊपर दबाव डालना जितने भी केएमएम और एसकेएम से जुड़े हुए 200 से अधिक संगठन हैं उनके लीडरों के ऊपर पूरी तरह दबाव डालना उनको कोई कार्यक्रम ना करने देना यहां नहीं यह नहीं अब तो

यह तो वह स्थानीय पदर पर स्थानीय तौर पर अपना कार्यक्रम तो कर सकते हैं तो केंद्र की नियत साफ नहीं है वो किसानों के असल में कुछ देना नहीं चाहती केंद्र शल करना चाहती है कि

कोई छोटी मोटी बातों पर किसान लीडर्स को लाकर समझौता कर जाए लेकिन सभी किसान नेता समझदार हैं सयाने हैं वह कभी भी सरकार के इस छल कपट में आने वाली तो हम बोल रहे केंद्र की नियत किसान आंदोलन की मांगों को लेकर सही नहीं है, अगर नियत और नीति साफ हो तो इस मोर्चे का सुखद हल निकल सकता है !

khetikare

धन्यवाद

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