बैगन की खेती

 बैगन की खेती
बैगन को किसी और फसल के साथ नहीं लगाना चाहिए क्योंकि बैगन जो है , वो बहुत बढ़ने वाला पौधा है ,छोटा पौधा नहीं है ,इसलिए अगर हम कोई और दूसरी फसल नीचे विकसित करेंगे तो वो उसकी पैदावार हमको अच्छी नहीं  मिल पाएगी वर्ष में तीन बार जो है ,इसकी खेती की जाती है इसलिए जो है पूरे वर्ष आपको जो है !

ताजा बैगन जो है ,उपलब्ध हो जाता है ,एक शरद कालीन दूसरा ग्रीष्म कालीन और तीसरी वर्षा कालीन जो शरद कालीन की जो हमारा फसल है ,मई जून में हम इसकी नर्सरी डाल देते हैं ,और जून जुलाई में इसकी रुपा कर देते हैं ,वर्षा कालीन की जो हमारी फसल है ,उसको नवंबर दिसंबर में जो है ,हम नर्सरी डाल देते हैं ,और दिसंबर या जनवरी में इसकी जो है हम रुपा कर देते हैं , इसी तरीके से जो वर्षा का लीन हमारा जो है ,वो है मार्च अप्रैल में जो है !

हम इसकी नर्सरी डाल देते हैं ,और अप्रैल मई में जो है ,हम इसकी रोपाई कर देते हैं , तो इस तरीके से हमको पूरे वर्ष फसल भी मिलती रहती है ,और पूरे वर्ष किसान के लिए जो है ,अपना खर्च करने के लिए उसको इसी बैगन के माध्यम से बैगन की सब्जी के माध्यम से उसको पैसा भी मिलता रहता है , इसलिए किसान जो है ,वर्ष भर होने वाली फसल होने के कारण इसको ज्यादा पसंद करता है !

सबसे पहले जरूरी है ,कि बैगन की नर्सरी को हम तैयार करें जो नर्सरी हम तैयार करते हैं । उसमें नर्सरी में तैयार करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि हमारा जो सामान्य खेत का जो है ।उससे 1.5 सेंटीमीटर जो है ! हमारी क्यारी की ऊंचाई होनी चाहिए और हमारी 1 मीटर की चौड़ाई होनी चाहिए और 10 मीटर उसकी लंबाई होनी चाहिए इस तरीके से जो हम क्यारियां बना लेते हैं । उसमें पहले जब क्यारी बना लेते हैं तो क्यारी बनाने के बाद जब हम उसकी खेत खुदाई करके उसकी तैयारी करने जाते हैं । तो उसमें गोबर की सड़ी हुई खाद हम उसमें अवश्य अच्छी तरीके से मिला कर के और मिला कर के जो है । फिर हम उसमें जो है । यह देख ले कि हमारी पर्याप्त मात्रा में नमी है कि नहीं अब जो हमने क्यारियां बनाई है । नर्सरी के लिए इनमें लाइनों में जो है । हम इसको बीज को जो है !

बीज की बवाई करते हैं , और बवाई करने के बाद इसको सड़ी हुई गोबर की खाद 3/4 उपजाऊ मिट्टी और 1/4 गोबर की खाद का हम इस्तेमाल मिला कर के और उसके ऊपर से डाल देते हैं जिससे जो है , बीज जो है , ढक जाता है ,गर्मी के दिनों में यह बहुत आवश्यक है ,गोबर की खाद और मिट्टी मिलाकर के जो हमने डाला है !

इसके बाद ऊपर से कोई पल या और कोई ऐसा बिछावन बिछा दें ,ताकि सूरज का गर्मी जो है ,वो सीधी जो है उस पर जमीन पर पौधे पर ना पड़े तो उसमें जो है ,जब तक ये हमारा अंकुरण नहीं हो जाता है ,तब तक इस बिछावन को बिछा करके और हजारे से जो है !

हम इस पर सिंचाई करते रहते हैं ,और सिंचाई करने के बाद जैसे ही हम देखते हैं ,कि हमारा अंकुरण हो गया यानी जमा हो गया है ,किल्ले निकलना शुरू हो गए हैं ,हम बिछावन को हटा देते हैं और फिर धीरेधीरे जो है ,इसमें हम बराबर पांच या छ दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहते हैं ताकि पौधा हमारा जो है पूर्ण रूप से विकसित हो जाए !

पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जब हम जुताई करते हैं ,उसी समय गोबर की खाद को बखर करके और अच्छी तरीके से खेत में मिला देते हैं ,और उसके बाद दो या तीन जुताई देसी हल से या कल्टीवेटर से करके और हम जो है खेत को भुरभुरा कर लेते हैं और समतल कर लेते हैं ,इसके पश्चात जब हम रोपाई करते हैं।

तो उस समय हमको 150 किलो नाइट्रोजन 60 किलो फास्फेट और 60 किलो पोटास की हमको जरूरत पड़ती है ,तो उसमें भीय आवश्यक है ,कि 1 बती जो नाइट्रोजन की संस्तुति मात्रा है 150 किलो नत्रजन उसमें से केवल 50 किलो नत्रजन और पूरी मात्रा फास्फेट और पूरी मात्रा पोटाश की जो है , व खेत में हम रपाई से पहले मिला देते हैं और जो शेष बच रहती है !

उसको बाद में जब हम हमारी जो है ,30 दिन की फसल हो जाती है ,तब इसको हम पहली टप रेसिंग करते हैं ,और दूसरी फिर उसके 15 दिन के बाद 45 दिन पर जो है हम दूसरी ट्रैप रेसिं कर देते हैं ,तो इस तरीके से जो हमारी 2 बती है उसका आधा आधा भाग हम दो बार में टप रेसिंग करेंगे तो हमारा पौधे का पूर्ण विकास होगा !

जो पौधे से पौधे की दूरी जो है वो 75 सेंटीमीटर होती है ,और रोपाई जो है ,हम लाइन में करते हैं ,तो ऐसी दशा में हम उसी लाइनों में जो है निकाई गुड़ाई करेंगे और जैसे ही बैगन जो का पौधा जो है 3035 दिन का हो जाता है ,तो उस समय यह बहुत परम आवश्यक है !

कि हम जो निकाई गुड़ाई कर रहे हैं ,तो गुड़ाई करने के बाद पौधे पर मिट्टी भी चढ़ा दें ,नहीं तो जिस समय फल आएंगे और जरा सा भी जो है ,वजन ज्यादा हो जाने की वजह से फल आएंगे और हवा चलेगी तो हमारा पौधा गिर जाएगा इसलिए निराई गुड़ाई के साथसाथ इसमें मिट्टी चढ़ाना भी बहुत आवश्यक है !

हम यह देख ले कि हमारा बैगन जो है ,पांच या छ दिन में जो है ,हमारा काफी विकसित हो जाता है ,और यह देख ले एक बैगन के लिए कि हमारा छह या सात दिन के बाद हमने बैगन काट करके देखा कि अब इसमें जो है । बीज तो नहीं ज्यादा डेवलप हो रहे हैं ,

मतलब पूर्ण विकसित हो जाए उस समय जो है हम उनको तोड़ लेना चाहिए और तोड़ने के बाद इसको बहुत सावधानी के साथ या तो टोक में या जो प्लास्टिक के केजस आते हैं उनमें इस तरीके से रखें कि बैगन दब नहीं दबने बैगन अगर दबता है ,

तो बैगन जो है ,देखने में उसकी सुंदरता नष्ट हो जाती है ,और जब मंडी में हम ले जाते हैं ! तो उसका भाव कम लगता है ! 

खेती करे 

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Thank यू 

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