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खेती के प्रकार, कौनसी खेती करने से फायदा होगा दोगुना, जानिए लागत से लेकर मुनाफे तक की खेती की पूरी जानकारी 

Posted on February 15, 2022 By admin No Comments on खेती के प्रकार, कौनसी खेती करने से फायदा होगा दोगुना, जानिए लागत से लेकर मुनाफे तक की खेती की पूरी जानकारी 

खेती के प्रकार, कौनसी खेती करने से फायदा होगा दोगुना, जानिए लागत से लेकर मुनाफे तक की खेती की पूरी जानकारी

फार्म क्या होता है –

एक खेत भूमि का एक क्षेत्र है जो मुख्य रूप से कृषि प्रक्रियाओं के लिए समर्पित है जिसका प्राथमिक उद्देश्य भोजन और अन्य उत्पादन करना है

खेती क्या होती है –

फसल उगाने और पशुपालन आदि की गतिविधि या व्यवसाय को हम खेती कह्ते है

खेती के प्रकार कितने होते हैं –

1. Organic farming (जैविक खेती) – जैविक खेती वह है जो कम लागत वाले इनपुट, कम मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करती है: मिट्टी की उर्वरता और पारिस्थितिक तंत्र बनाए रखती है।

2. Shifting cultivation( स्थानांतरण की खेती) –

खेती के इस तरीके का व्यापक रूप से आदिवासी समूहों द्वारा फसल उगाने के लिए उपयोग किया जाता है।

पहले वन क्षेत्र को साफ करके भूमि प्राप्त की जाती है और फिर फसलें होती हैं । जबकि भूमि अपनी उर्वरता खो देती है, भूमि का एक और क्षेत्र साफ कर दिया जाता है और फसलों को वहां स्थानांतरित कर दिया जाता है।

तरबूज की खेती करने का तरीका

3. Mixed farming (मिश्रित खेती) –

यह एक विशेष खेत पर खेती की एक प्रणाली है जिसमें फसल शामिल है उत्पादन, पशुधन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन पोषण और किसान की यथासंभव अधिक से अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना।

4.जीविका कृषि (Subsistence Agriculture)

इस तरह की खेती ज़्यादातर एक परिवार के जीवन निर्वाह के लिए की जाती है। किसान कई तरह की फसलों का उत्पादन करता है और यह उत्पादन परिवार की ज़रूरतों के आधार पर ही होता है। खेत छोटे होते हैं और उपज कम होती है। किसान गरीब होते हैं। इस तरह के किसान पुराने और परंपरागत तरीके के उपकरणों का इस्तेमाल करके खेती करते हैं।

5. सघन कृषि (Intensive Agriculture)

-छोटे खेतों की जोत -जल आपूर्ति सिंचाई से अधिक होती है।

-उच्च उपज देने वाली किस्मों का उपयोग किया जाता है।

-हरी खाद और रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है।

-फसल को सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है।

-नई तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल खेती करने के लिए किया जाता है।

6.व्यापक कृषि (Extensive Agriculture )

इस प्रकार की कृषि कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में की जाती है जहां खेती के लिए ज़मीन अच्छी खासी होती है। यहां के किसान एक या दो तरीके की व्यावसायिक खेती में निपुण होते हैं। भारत में हिमाल के तराई क्षेत्र और उत्तर पश्चिमी राज्यों में व्यापक कृषि बड़े स्तर पर होती है। इस तरह की कृषि की ये मुख्य विशेषताएं होती हैं।

7. बागान कृषि (Plantation Agriculture)

-बड़ी उपज की जोत खेती के वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल सस्ता और कुशल श्रमिक च्च प्रबंधकीय क्षमता की आवश्यकता वार्षिक फसलें बारहमासी फसलों से कम अनुकूल होती हैं। खेती विशेष तरह की मशीनों की मदद से होती है। खेती का उद्देश्य ज़्यादा उपज और अच्छी क्वालिटी का उत्पादन होता है। -पौधों को औद्योगिक इकाइयों की तरह प्रबंधित किया जाता है।

आkiखीरा की खेती केसे करे

8.व्यावसायिक खेती ( Commercial Agriculture)

व्यावसायिक खेती का मुख्य उद्देश्य होता है इस तरह की फसलों का उत्पादन जिनको बाज़ार में बेंचा जा सके। ये सघन खेती भी हो सकती है और व्यापक खेती भी। उत्पादन की लागत कम रखने के लिए खेती की कई तरह की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। यह आम तौर पर विरल आबादी वाले क्षेत्रों में की जाती है।

9. मिश्रित खेती ( Mixed Agriculture)

इस तरह की खेती में फसलों की खेती के साथ साथ पशुओं को भी पाला जाता है। पशुपालन और फसलों को बदल कर लगाना इसमें महत्वपूर्ण होता है। यह घनी आबादी वाले क्षेत्रों में प्रचलित है। इस खेती में आम तौर पर पैदावार उच्च होती है। खेती के कुशल तरीके, परिवहन के त्वरित साधन और आसपास के क्षेत्रों में तैयार बाजारों से किसानों को अच्छा फायदा मिलता है।

10.डेरी फार्मिंग ( dairy farming) 

औद्योगिक शहरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस तरह की खेती का विकास किया गया है। शहरी इलाकों में रहने वाले और काम करने वाले लोगों के लिए डेयरी उत्पादों को उपलब्ध कराने के लिए बड़े शहरों के पास दूध देने वाले पशुओं को पाला जाता है। इस तरह की खेती की भी कुछ विशेषताएं होती हैं।

11.विशिष्ट खेती (Specialized Farming)

इस प्रकार की खेती के अंतर्गत एक ही प्रकार की खेती का उत्पादन किया जाता है और किसान अपनी आय के लिए केवल इसी पर निर्भर रहता है। व्यक्ति की कुल आय में इस प्रकार की खेती कम से कम 50% आय प्राप्त होती है। उदाहरण: चाय, कहवा, गन्ना और रबर इत्यादि की खेती ।

12.शुष्क खेती (Dry Farming) 

ऐसी भूमि में जहाँ वार्षिक वर्षा 20 इंच अथवा इससे कम हो, इस प्रकार की खेती की जाती है। ऐसी जगहों पर बिना किसी सिचाईं साधन के उपयोगी फसलों का उत्पादन किया जाता है। शुष्क खेती के क्षेत्रों में फसल उत्पादन के लिए भूमि में वर्षा के पानी की अधिक से अधिक मात्रा को सुरक्षित रखा जाता है।

13.बहु प्रकारीय खेती (Diversified Farming)

इस प्रकार की खेती का सम्बन्ध उन जोतों या फार्मों से है जिन पर आमदनी के स्रोत कई उद्यमों या फसलों पर निर्भर करते हैं और प्रत्येक उद्यम अथवा फसल से जोत •की कुल आमदनी का 50% से कम ही भाग प्राप्त होता है। ऐसे फार्म को विविध फार्म (general farm) भी कहते हैं ।

14.रैचिंग खेती (Ranching Farming)

इस प्रकार की खेती में भूमि की जुताई, बुबाई, गुड़ाई आदि नही की जाती है और न ही फसलों का उत्पादन किया जाता है, बल्कि प्राकृतिक वनस्पति पर विभिन्न प्रकार के पशुओं जैसे भेड़, बकरी, गाय, ऊँट आदि को चराया जाता है।

15. सीढ़ीनुमा कृषि

सीढ़ीनुमा कृषि पर्वतीय भागों में की जाती हैं पर्वतीय प्रदेशों में मैदानी भाग नही पाए जाते जिस कारण ऐसे स्थानों पर छोटी जोत के खेत सीढ़ीनुमा रूप में बनाकर की जाती है। सीढ़ीनुमा कृषि से मृदा अपरदन और बारिश के पानी के बहाव को रोका जा सकता हैं जिसका इस्तेमाल फसल की सिंचाई के रूप में होता है।

16.मशरूम (खुम्भी) की कृषि (Mushroom Culture)

मशरूम की कृषि न सिर्फ धन कमाने का एक आकर्षक तरीका है, बल्कि वह पोषक तत्वों से भी भरपूर खाद्य पदार्थ है। मशरूम एक प्रकार के कवक हैं। जोकि छोटे आकार की सफेद गेदों के रूप में दिखायी देते हैं। इनमें एक छोटी शाखा और टोपी होती है, जो कि एक छतरी के समान ऊपर को खुलती हैं।

17.अनुबंध कृषि

अनुबंध कृषि में किसानों और फर्मों के बीच फसल पूर्व एक समझौते के आधार पर कृषि उत्पादन किया जाता है। इसके तहत कई छोटे-छोटे किसान मिलकर आपस में संगठन बनाते हैं और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और निर्यातकों के साथ अनुबंध के अनुसार फसलों का उत्पादन करते हैं।

18.जलवायु स्मार्ट कृषि

देश में जलवायु- स्मार्ट कृषि (CSA) विकसित करने की ठोस पहल की गई है और इसके लिये राष्ट्रीय स्तर की परियोजना भी लागू की गई है। यह एक एकीकृत दृष्टिकोण है, जिसमें फसली भूमि, पशुधन, वन और मत्स्य पालन के प्रबंधन का प्रावधान होता है। यह परियोजना खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन की परस्पर चुनौतियों का सामना करने के लिये बनाई गई है।

19.एक्वाकल्चर प्रणाली

इस प्रणाली के तहत एक प्राकृतिक या कृत्रिम झील, ताज़े पानी वाले तालाब या समुद्र में, उपयुक्त तकनीक और उपकरणों की आवश्यकता होती है। इस तरह की खेती में जलीय जंतुओं जैसे- मछली एवं मोलस्क का विकास, कृत्रिम प्रजनन तथा संग्रहण का कार्य किया जाता है।

20.जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग

ज़ीरो बजट नेचुरल फार्मिंग मूल रूप से महाराष्ट्र के एक किसान सुभाष पालेकर द्वारा विकसित रसायन मुक्त कृषि (Chemical- Free Farming) का एक रूप है। यह विधि कृषि की पारंपरिक भारतीय प्रथाओं पर आधारित है।

21.द्विफसल कृषि (Two-Cropping Agriculture)

इस पद्धति में, एक वर्ष में एक के बाद एक दो फसलों की खेती की जाती है। यह उन क्षेत्रों में की जाती है जहां पर्याप्त वर्षा या सिंचाई की उचित सुविधा होती है। इस कृषि में दूसरी फसल आमतौर पर, नाइट्रोजन फिक्सिंग वाले फसलों की खेती होती है।

22.रिले कृषि ( Relay Cropping)

फसल के पकने और काटने से पहले जब नई फसल की खेती की जाती है. इसे रिले कृषि के रूप में जाना जाता है।

23.कृषि दक्षता (Agricultural Efficiency)

वह ऐसे कृषि से संबंधित है, जो न्यूनतम समय में अधिकतम मात्रा में कृषि उत्पादन की बात करता है जिसे कृषि उत्पाद को किसान अपने अनुसार बेच सके।

24.फसल सघनता (Crop Intensity)

भारत जैसे देशों में कृषि भूमि का विस्तार नहीं किया जा सकता है। इसलिए, एक वर्ष में भूमि से एक से अधिक फसल प्राप्त करना आवश्यक है। भूमि के इष्टतम कृषि उपयोग को फसल सघनता कहा जाता है।

25. फसल का चक्रीकरण (Crop Rotation)

इस पद्धति में, भूमि की उर्वरता बनाये रखने के लिए, इस तरह से खेती की जाती है जिसमे एक के बाद एक ऐसे फसलो की • खेती की जाती है ताकि मिट्टी की उर्वरता बरक़रार रहे। दुसरे शब्दों में कहे तो, एक ही खेत में विभिन्न फसलों को बारी-बारी से (अदला-बदली से) बोना फसल चक्रण हैं।

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